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‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’                                                                                      

  दान ( ? )

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 हस्तरेखा 

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ज्योतिष शाष्त्र सभी शाष्त्रों में निर्मल नेत्र सामान है । जिसके माध्यम से जीवन में घटने वाली सभी घटनाओं पर प्रकाश डाला जाता है । ज्योतिष का एक और भी भाग है वो है, हस्तरेखा ज्योतिष जिसमें हस्त में बने चिन्हों एवं पर्वों को अलग अलग ग्रहों में विभाजित कर उससे भी भूत भविष्य और वर्तमान का आकलन किया जाता है । हस्तरेखा के माध्यम से अनेकों की गयी भविष्यवाणियां लगभग पूर्णतया सत्य हुई हैं । आज मैं हस्त सामुद्रिक शास्त्र के बारे में रोचक जानकारियां प्रस्तुत करने जा रहा हुं । ज्योतिषी मानते हैं कि, हस्तरेखा-विज्ञान से किसी भी व्यक्ति के भूत, भविष्य, वर्तमान और उसकी प्रकृति के बारे में जाना जा सकता है ।

हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, प्रमुख रेखाएं इस प्रकार हैं, जीवनरेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा, भाग्य रेखा तथा मंगल रेखा, विवाह रेखा, संतान रेखा, यात्रा रेखा, सूर्य रेखा और चन्द्र रेखा, बुध रेखा, गुरु रेखा, शुक्र रेखा आदि ।

हस्तरेखाविद दाहिनी और बाई दोनों हथेलियों को देखते हैं । बाई हथेली यह स्पष्ट करती है कि हमारे भाग्य में क्या हैं ? और दाई से यह पता चलता है कि, अपने कर्मो से हमने अब तक क्या कुछ प्राप्त किया है । इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि महत्व केवल रेखाओं का नहीं, व्यक्ति के कर्म का भी है। यदि वह अकर्मण्य है, तो जो कुछ उसके हाथ में लिखा है, वह उसे पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर सकता। यदि वह कर्मठ है, तो हाथ में जितना कुछ नहीं लिखा है, उससे भी अधिक प्राप्त कर सकता है। निश्चित ही कर्म के आधार पर हाथ की रेखाएं बनती और बिगडती हैं । यदि किसी के हाथ में विद्या रेखा नहीं है, और वह कठोर कर्म के आधार पर विद्या प्राप्त कर लेता है, तो विद्या रेखा उसके दाहिने हाथ में दिखने लगेगी । किसी भी रेखा का स्वरूप उसके फल को निर्धारित करता है । यदि किसी रेखा पर क्रॉसका चिह्न है या वह कहीं पर कटी हुई है, तो यह सब उस रेखा के विरुद्ध फल प्रदान करने वाले होते हैं । कुछ महत्त्वपूर्ण बातें जानने के लिए जरूरी है जैसे :

यदि हथेलियां गहरी हों, तो व्यक्ति धनी होता है । किसी व्यक्ति की भाग्य-रेखा चंद्रस्थान से निकलती है, तो वह निश्चित ही लेखक, कवि, संगीतकार या अन्य किसी कला में पारंगत होता है । यदि किसी व्यक्ति का अंगूठा हथेली के साथ नब्बे या उससे अधिक डिग्री का कोण बनाता है, तो वह व्यक्ति अपना निर्णय स्वयं लेता है, और जिद्दी स्वभाव का भी होता है । इसके विपरीत जिसका अंगूठा झुका रहता है, वह अपना निर्णय कभी भी स्वयं नहीं ले सकता है । काले तिल का महत्व हस्तविज्ञान में बहुत है । यदि यह किसी ग्रह के स्थान पर है, तो शुभ है । यदि किसी रेखा पर है, तो अशुभ फल देता है ।

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